वह समय भी एक नये सत्र का प्रारम्भ था जब संवत्सर शीत अयनांत से प्रारम्भ हु आ...
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कालान्तर में वर्ष यानि संवत्सर का प्रारम्भ महाविषुव के बजाय शीत अयनांत से होने लगा-अगहनी धान यानि वृहि की बलि से नवसत्र का आरम्भ।
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इसी स्थान पर इन्द्र रूपी लुब्धक द्वारा आकाशगंगा रूपी फेन के अस्त्र से वृत्र रूपी वर्षा का ध्वंश और उसके पश्चात पूजित होना, शीत अयनांत से प्रारम्भ नवसत्र के प्रारम्भ का रूपक है।
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आगे के हजारो वर्षों में एक बड़ी प्रगति यह हुई कि सत्रों का प्रारम्भ शीत अयनांत (आज का 22 दिसम्बर) से होने लगा और पुराने विषुव आधारित सत्रों से नये सत्रों के समायोजन प्रयासों के कारण तमाम जटिलतायें उत्पन्न हुईं।
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पृथ्वी की परिधि नापने का यह प्रयोग पूरे विश्व में साल में चार दिनों में ही किया जाता है क्यूंकि इस खास दिनों में ही सूर्य भूमध्य रेखा, मकर रेखा और कर्क रेखा पर रहता है ये दिन विषुव और ग्रीष्मकालीन अयनांत और शीत अयनांत कहलाते हैं।
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पृथ्वी की परिधि नापने का यह प्रयोग पूरे विश्व में साल में चार दिनों में ही किया जाता है क्यूंकि इस खास दिनों में ही सूर्य भूमध्य रेखा, मकर रेखा और कर्क रेखा पर रहता है ये दिन विषुव और ग्रीष्मकालीन अयनांत और शीत अयनांत कहलाते हैं।
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२२ दिसम्बर को शीत अयनांत यानी विंटर साल्सिटस होता है इस दिन ११ बजे प्रातः से १ बजे अपराह्न तक अलाहर स्कूल के विद्यार्थी विश्व के कईं देशों के बच्चों के साथ मिल कर यह प्रयोग करेंगे जिसके परिणामों के तुलनात्मक अध्ययन से पृथ्वी की परिधि पता चलेगी ।
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२२ दिसम्बर को शीत अयनांत यानी विंटर साल्सिटस होता है इस दिन ११ बजे प्रातः से १ बजे अपराह्न तक अलाहर स्कूल के विद्यार्थी विश्व के कईं देशों के बच्चों के साथ मिल कर यह प्रयोग करेंगे जिसके परिणामों के तुलनात्मक अध्ययन से पृथ्वी की परिधि पता चलेगी ।